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Jeewan Jeene Ki Kala

150.00

“जीवन जीने की कला” एक ध्यान-आधारित प्रेरक पुस्तक है, जिसमें ओशो जीवन के गहरे प्रश्नों और समस्याओं का सरल समाधान प्रस्तुत करते हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे मनुष्य अपनी अज्ञानता और लालच से पृथ्वी को नष्ट कर रहा है और अमृत यानी सच्चे जीवन-रस की खोज में भटक रहा है। पुस्तक यह समझाती है कि महामंत्र साधन के साथ ही प्रभावी होता है और संतोष तभी आता है जब हम भीतर की शांति को अनुभव करें।
इन प्रवचनों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि समाज की संरचना अक्सर “अपनी-अपनी” सोच से बंटी रहती है, जिससे संघर्ष पैदा होते हैं। ओशो कहते हैं कि जीवन में हमेशा नया करने की भावना होनी चाहिए, तभी जीवन ताजगी और सृजनशीलता से भरा रहता है। परिवारों में होने वाले कलह के कारणों पर भी प्रकाश डाला गया है और बताया गया है कि यह सब अहंकार और असजगता से उत्पन्न होता है।
पुस्तक का संदेश है कि जीवन को दिशा केवल ध्यान और जागरूकता से मिल सकती है। जब हम बुद्धि की जगह हृदय और सजगता को अपनाते हैं, तब जीवन सहज, संतुलित और प्रेम से भरा हुआ बन जाता है।

Category:

Book informations

ISBN 13
978-93-82244-09-7
Year
2012
Number of pages
144
Edition
2012
Binding
Paperback
Language
Hindi

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